दूर रहें सपनों के संसार से
मन उड़ता है कल्पना में
रच जाता है सपनों का संसार
क्या कभी आपने देखा है ध्यान से
यही तो है दुःखो का घर
दूर रहें सपनों के संसार से।
सभी सीधे सरल परिश्रमी व्यक्ति
खो जाता है सपनों के संसार में
यह युद्ध है अपने अपने ढंग का
जहां से निकलना होता है मुश्किल
दूर रहें सपनों के संसार से।
खिलखिलाती हंसती जिंदगी
जब विचरण करता है सपनों के संसार में
अंतहीन पीड़ा से ग्रसित
जिंदगी हो जाता है गुमसुम सा
दूर रहें सपनों के संसार से।
जब लौट आने को पुनः पुनः प्रयत्न करता है
सपनों के संसार से बाहर
तब तक बिखर जाता है तिनका तिनका
ये होता है सपनों का संसार
दूर रहें सपनों के संसार से।
नूतन लाल साहू
Gunjan Kamal
24-Jun-2023 11:57 PM
👏👌
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वानी
24-Jun-2023 07:24 AM
Nice
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ऋषभ दिव्येन्द्र
26-May-2023 12:28 PM
बहुत खूब
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